मेरा नाम महेश है मैं एक दिन ,train मैं सफर कर रहा था और मै जरनल कैाच में सफर कर रहा था जिस सीट पर में बैठा था उस सीट पर मेरे से पहले कोई 40 से 45 साल की बहुत सुदंर औरत बैठी थी करीब 2 घंटे के बाद उस सुदंर महिला ने अचानक बेहोश गई फीर क्या उस जनरल कोच में अफरा -तफरी मच गया किसी तरह उस महिला को उसके चेहरे पर पानी का छिटा मारकर उसे हौष में लाया गया और जब महिला को पुछ - ताछ किया गया तो उस महिला ने ऊतर दिया की
भैया में बहुत डरी हुँ घबरहाट हो रहा है क्योंकी मेरा टीकट और मेरा मनी परस दोनों घुम हो गया है अब में क्या करूु और में ऐकली औरत इस train में सफर कर रहा हूँ यह सब सोचते हुवे में बेहोश हौ गई यह सब सुनकर मेरे से रहा नहीं गया और उस लचार औरत पर मुझे तरस आ ग़या और में झट से उस औरत को बोला मेडम जी आप चिन्ता मत किजीय में आपको मदद करूु गया फिर उस औरत से पुछा मैनें की आप कहाँ जायें गें
उस लचार औरत नें कहा भाई सहाब में काशी (बनारष) की रहने वाली हुँ क्या आप सही में मेरा मदद करें गें फीर क्या में झट से बोला हँ मेम में अपका मदद करूु गया आप बिलकुल चिन्ता मत कीजीय में अपाको मदद करूु गया इसतरह हम दोनों आपस में बात करते - करते मुझे कब उस औरत से मुझे प्यार हो गया मुझे खुद भी पाता नहीं चाला अब मैं मन ही मन सोचने लगा में कैसे यह बात इस महिला को बोलें क्योंकी मुझे डर लग रहा था यह सब बात मेरे मन चल रहा था इसी बीच उस महिला का अपना काशी (station) गाडी पहुँच गई अब मेरा मन और विचलीत हो उठा अब में सोचने लगा अब में क्या करूु फिर क्या उस औरत ने बोला भाई सहाब अब मेरा मदद करें
क्योंकी हमारी स्टेशन आ चुका है फिर क्या मेनें बोला जरूर मेडम जी में तो अपका मदद अवश करुु गाया पर एक Request है मेडम जी आप से क्या Request है बौल सकते हैं आप फिर मेनें बोला में आपको आपके घर तक छोड कर आँउ गया,उसके बाद उस औरत ने जलदी से हँ कर दिया तो मैनें मन ही मन में खुशी से झुम हौ उठा पर मन में एक सवाल उतपन हो रहा था की क्या ईस सुदंर महिला भी मन ही मन मुझसे प्यार कर रही है
तो नहीं गाया मेरे दिमाग मे बहुत सारा सवाल उट रहा था पर जब तक में मेडम जी का घर नहीं छोड देता तब तक मैं अपनें मन का बात नहीं बाता सकता इसतरह मै उस सुदंर औरत के घर पहुँच गया फिर मेडम जी मुझे ने अपने घर वालों से मिलाया और सारे घटना अपनें घर वालों को सुनाया उनके घर वालों ने मुझे बुहत सारें बधाई और प्यार दिया मैं बहुत जादा ही खुश था क्योंकी मुझे उस सुदंर औरत से प्यार हौ गया था अब में अपनें मन ही मन सोच रहा था की अब मैं मेम से अपना दिल का बात कहेंगें इसी बीच मेम मेरे समाने आया और बोला भाई जी
मैं अपका बहुत शुक्गुजार हुँ आपने मेरे लिऐ जौ किया वो तो मेरा अपना शगा भाई भी नहीं करेगा और आज आप से मेरे भाई हो यह सुनकर मैं तो पुरा उदाश हो गया और मेने भी कहा क्यों नहीं बहन आज से आप मेरे बहन हौ ईस तरह मेरे प्यार दिल में ही रह गया और में खुृशी होकर अपना घर चााला गया
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