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छठ पर्व करने वाले तीन दिन तक पानी नहीं पीते इसके पीछे क्या कारण है ?

छठ पर्व करने वाले तीन दिन तक पानी नहीं पीते इसके क्या कारण है ?

छठ पर्व  करने वाले तीन दिन तक पानी नहीं पीते इसके क्या कारण है। सबसे पहले ये जानें की हिन्दू धर्म में सबसे अधिक पवित्र और शुद्ध पर्व माना गया है,क्योंकि ये पर्व बहुत ही विश्वाश और आस्था के प्रतीक माना जाता है ।इसलिए आज से नहीं बहुत सदी यों से तीन दिन तक बिना पानी पियें ,छंट पर्व करने वाले  व्रतधारी को ये परम्परा निभाने पड़ते हैं।नहीं तो छंट व्रत सफल नहीं हो पाय गा , और इसके परिणाम भी अच्छा नहीं होता है । क्योंकि अगर कोई छंट करने वाले व्रतधारी तीन दिन के अंदर गलती से पानी पी लेता है तो उसे और उसके परिवार को भी शरीर में बहुत सारे कष्ट  उठाने पड़ते हैं। यही हमारी छटी मईया के अप्रम पार लीला है और यही सत्य है कि जो लोग छंट पर्व करते हैं उन सभी छठव्रतियों को माता कृपा से तीन दिन तक बिना पानी पियें स्वस्थ और मस्त रहते हैं।


सबसे पहले छंट पर्व किसने किया था ?

सबसे पहले छंट पर्व किसने किया था। ये बहुत रोचक बातें है , क्योंकि आज के समय में पुरी दुनिया जानने चाहते हैं कि आखिर ये छंट पर्व किसने सबसे पहले मनाया था ये रहस्य जानने के लिए आपको ये पुरी आर्टिकल पढ़ने पड़ेगा। 

तो चलिए जानते हैं की छटी मैया को लेकर क्या रहस्य है । इतिहासकार मानते हैं कि छंट पर्व सबसे पहले रामायण काल में हमारे प्यारी सीता माता ने छंट पर्व किया था। और क्यों किया था इसके पीछे क्या कारण था, माना जाता है कि जब भगवान श्री राम जी 14 वर्ष बनवास के बाद अयोध्या वापस आये। उस समय भगवान श्री राम जी के स्माम्न के लिए माता सीता ने पहले बार छंट पुजा किया था। उस दिन से लेकर आज तक छंट पर्व निभाते आ रहे है।

महाभारत काल से ही छंट व्रत करते आ रहे है ?

इतिहासकार मानते हैं कि सबसे पहले छंट पर्व महाभारत काल में ही किया था। महाभारत में पांच पांडव ने अपनी पूरी राज पाट हार गया था अपने ही भाईयों करवों के पास, इसलिए उसी समय पांच पांडव के पत्नी ने मन्नत मांगी थी कि अगर हमारे राज पाट फीर से सही सलामत वापास मिल जाता हैं। तो हम छंट पर्व करें गें ओर पांडव का पत्नी के मांगी हुई मन्नत पूरी हुई,तब से पांडव के पत्नी द्रौपदी जी छंट पर्व करने लगे।

छटी मैया और सुर्य देव का अपास में क्या संबंध है ?

छटी मैया और सुर्य देव का अपास में भाई-बहन का संबंध है। इसलिए छंट व्रत करने वाले उगते एवं डुबते सुर्य देव को अर्घ दिया जाता है। छट पूजा बहुत ही विश्वाश के प्रतीक माना जाता है। क्योंकि छंट मैया से जो भी कोई कुछ मांगते हैं उन सब का मुरीद पुरी होते हैं। इसलिए छंट पर्व विश्वास और आस्था के प्रतीक माना जाता है। 

छंट मैया के पति का क्या नाम है  ?

इतिहासकार का मनाना है कि हमारे प्यारी सी छटी मैया तो सभी के मुरीद पुरी करते हैं। पर हमारी छटी मैया के सुख-दुख में कोण मदद करता है। तो सबसे पहले जाने की हमारी छटी मैया के पति भगवान कार्तिकेय हैं,जो हमारे छंट मैया के सुख-दुख में साथ देते हैं।

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई गई , दावों की health paswanblog live पुष्टि नहीं करता है। केवल सुझाव के रूप में लें. 


और आपलोगों को मेरा blogging. अच्छा लग रहा है तो please इसे सैयर कर सकते है और ये जानकारी किसी को मदद करें गा



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