रक्षा बंधन क्यों मनया जाता है ?
सबसे पहले जानते है की रक्षा बंधन क्यों मनया जाता है यह पर्व एक भाई-बहन का विशवास और इन दोनों के बीच जिवन भर प्यार बरकरर रहे इसलिये हर वर्ष सावन के पूणि्मा में मनया जाता है यह पर्व भारत के सभी जगह मनाया जाता है
बडी खुशी और धुम-धाम से मनाया जाता है ा
रक्षा बंधन का क्या अर्थ होता है ?
रक्षा बंधन तो एक भाई+बहन का पर्व है पर रक्षाबंधन का मतलब क्या अर्थ होता है रक्षा का मतलब होता है भाई बहन को रक्षा प्रदान करना होता है और बंधन का मतलब होता है बहन ने भाई को हर वर्ष सवान के पूरणिमा में राखी बंधना मतलब ये राखी नहीं एक तरह एक गाठ होता है ये गाठ भाई और बहन के बीच प्यार के प्रतीक माना जाता है और बहन ने भाई के लिए ईशवर से लम्बी आयु के लिए कमना करती है ा
रक्षा बंधन सबसे पहले किसने बाधां था ा
ऐसा कहा की जाता है की सबसे पहले माता लक्ष्मी जी ने बाली को राखी बाधीं थी क्योंकि माता लक्ष्मी जी एक दिन रो रही थी तो बाली ने लक्ष्मी जी से पुछा की आप क्यों रो रही हो तो माता लक्ष्मी जी जवाब दिया की मेरा कोई भाई नहीं है तो में किसे राखी बांधु तब बाली ने कहा आप चिंता ना करे आज से आप मुझे अपना भाई मान लें फिर माता लक्ष्मी जी ने अपने स्वामी विष्णु भगवान से बाली को अपना भाई मांग लिया इसदिन से माता लक्ष्मी जी ने बाली को हर सवान के पूर्णिमा में राखी बांधने लगी तब से यह प्रथा चलने लगा और हर बहन अपने भाई को राखी बांधने लगी ा
ऐशा भी कहा जाता है की श्री कृष्ण भगवान ने द्रौपदी के राखी बांधने का उपहार जो दिया था वह उपहार पुरी दुनिया को याद है एक बार श्री कृष्ण भगवान ने अपने चक्र से शीशपाल को दण्डित किया उस समय श्री कृष्णा जी अंगुलीयाँ कट गया था उसी समय द्रौपदी महारानी ने अपने साडी का आंचल फाड़कर श्री कृष्ण भगवान के अंगुलियों में बांध दिया और अपना कर्तव्य निभाया उसी समय भगवान श्री कृष्णा जी ने वचन दिया की द्रौपदी यह यहसान में तुम्हे जरुर वापस करुु गा ा
महाभारत में जब पाँच पाण्डउ ने जुऊा में हार गया अपने पत्नी को द्रौपदी को तब कौरवों ने बीच सभा में द्रौपदी को चीरहरण कर रहा था उसी समय श्री कृष्ण भगवान ने जो वचन दिया था वह पुरी सभा में द्रौपदी जी के लाज बचा लिया इसतरह उस दिन से भी रक्षा बंधन का शुरवात हुवा माना जाता है ा
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Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की paswanblog live पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें.यह आप गीता से ज्ञान लें सकते है
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